ममता -बाड़ी की बेगम टिकैत सुल्ताना उर्फ़ मल्लिकाए ज़हीन
डेमोक्रेसी को समझ बैठीं आप मज़ाक ,
ऊंची प्रोटोकॉल से है आपा की नाक।
है आपा की नाक बाट जोहे खुद पीएम ,
पर हो बैठी गोल स्वयं मीटिंग से सीएम।
रोज़ -रोज़ यदि आप दिखाएं ,शेखी ऐसी ,
तो बीबी किस भाँति चलेगी डेमोक्रेसी। (कविवर ॐ प्रकाश तिवारी )
मल्लिकाए बंगाल
एक ग़ज़ल कुछ ऐसी हो ,
बिलकुल तेरे जैसी हो ,
मेरा चाहे जो भी हो
तेरी ऐसी तैसी हो।
हमारा मानना है बेगम साहिबा अलपन वंद्योपाध्याय को कार्य मुक्त नहीं करेंगी।ना रिलीविंग चिट देंगी ना लास्ट पे सर्टिफिकेट। ऐसे में फिर एक द्वंद्व युद्ध होगा दीदी बनाम 'दीदी ओ दीदी'। अभी एक दिन बाकी है एक दिन में बहुत कुछ हो जाता है।
राज पाट धन पाय के क्यों करता अभिमान ,
पाड़ोसी की जो दशा ,भई सो अपनी जान।
जहां "आपा "तहाँ आपदा ,जहां संकट तहाँ शोक ,
कहे कबीर कैसे मिटे ,चारों दीर्घ रोग।
विशेष :यहां 'आपा' में श्लेषार्थ है एक बड़ी बहन (दीदी )दूसरा अहंकार।
पानी से पानी मिले ,मिले नीच को नीच ,
अच्छों को अच्छे मिलें ,मिलें नीच को नीच।
This elaborates the ego problem Iness complex suffered by Mallikae Bengal alias Aapa Tikait Sultana zanaabveeruda.blogspot.comomo
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